भेजे में जो भी भूचाल चल रहा हो तो जरूरी नहीं कि इसे पत्थर की तरह सामने वाले के सिर पे मारा जाय (जैसे परमाणु उर्जा से परमाणु बम बनाना), उसे अगर सकारात्मक उर्जा के साथ कागज पर उतारा जाये तो क्या बात!!........यकीनन एक शानदार रचना सामने आयेगी, उसमें चाहे तो जोड़-तोड़ हो या फिर ख़याली-पुलाव कोई फ़र्क नहीं पड़ता, बस है तो "भेजे की उपज" ही ना ।
हमारा भारत देश विभिन्न ऋतुओं का देश है और हर ऋतु परिवर्तन के साथ त्यौहार है ये हिन्दू सनातन संस्कृति हैं । जब भी ऋतु परिवर्तन होता है हमारा शरीर मौसम के अन
हमारे देश सभ्यता – संस्कृति, मूल्यों के नाम से विश्व में पहचाना जाता है। भारतीय संस्कृति त्योहारों की संस्कृति है।हमारे देश में हर महीने में कोई न कोई पर्व आत
होली शब्द सुनते ही मेरा मन मोर बन नाच उठता है।पैर थिरकने लगता है।पायल की छम-छम में होली के मस्त स्वर गु़ंजित होने लगते हैं।मैं ससुराल में हूं। यहां होली सबको पस
जीतना सरल है, हारना सरल है। पाना सरल है, खोना सरल है। जीना सरल है व मरना भी सरल है ,मगर जीवन में सरल होना ही सबसे कठिन है। हम जिन्दगी में एक अच्छे विचारक बन जात
हैलो प्रिया…….कैसी हो, तुम्हारे पापा कैसे हैं । हैलो अंकल……. मैं बहुत बढ़िया हूँ, पापा भी बढ़िया हैं । तुम यहाँ पार्क में घूमने आई हो, यह तुमने बढ़िया किया, म
यह उनकी स्नातक पार्टी की रात थी, उनकी शादी की रात से पहले का दिन! वे सुखदायक समुद्र तट की ओर थे, उस सुखद चाँदनी और लहरदार सवारी के नीचे! वह उसे कुछ कबू
बर्थ डे पार्टी चल रही थी, ऑफिस के सभी लोग आये हुये थे । हँसी-मजाक का माहौल चल रहा था । आदतनुसार राजेन्दर सिंह जी ने अचानक एक सवाल पूछकर सबको गम्भीर कर दिया । भै
अल्प संख्यकों के संरक्षक - शॉपिंग मॉल ना, ना .............. राजनैतिक पार्टियों की तरह अल्पसंख्यकों का नाम आते ही
बजाते रहो....... बउआ को एक बार एक छोटा सा बच्चा था, बहोत बोलता था, तो नाम पड़ गया बबुआ । समय गुजरता गया, बच्चा बड़ा होता गया और बोलना भी बढ़कर बड़बोलना में बदल
ध्यान केंद्रित करना कोई आसान काम नहीं, बड़े-बड़े ऋषि-मुनि भगवान की भक्ति में लीन रहते थे, सम्पूर्ण साधना में विलीन होकर भी एक अप्सरा अपनी पायल की झंकार से उनका
फाइनल ईयर में बॉयोमेडिकल इंस्ट्रूमेंटेशन की परीक्षा में एम.आर.आई के ऊपर आये सवाल का जवाब देने के बाद अपने को तो लगता था कि एम.आर.आई मशीन तो अपन ही बना देते । पू
जब युधिष्ठिर अपने छोटे भाईयों भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव और पत्नी द्रौपदी सहित पूरे राज-काज को छोड़ वनों में होते हुऐ हिमालय पर्वत पर चढ़ने लगे तो उनके साथ-साथ एक
आ गया मौसम स्मॉग का, बड़ा सुहाना मौसम है ये….. क्या हुआ ? चौंक गये..!! अरे भाई नुकसान तो सभी को पता है लिकिन फायदे !! वो मैं बताता हूँ आपको, एक तो ये कि इसका असर