कहानियाँ
"कहानी वह ध्रुपद की तान है, जिसमें गायक महफिल शुरू होते ही अपनी संपूर्ण प्रतिभा दिखा देता है, एक क्षण में चित्त को इतने माधुर्य से परिपूर्ण कर देता है, जितना रात भर गाना सुनने से भी नहीं हो सकता।"

- 'प्रेमचन्द'
माँ
लेखक : अमरनाथ सोनी
म. प्र. के एक छोटे से गांँव फरहदा में माँ नाम की एक औरत रहती थी, वह औरत माँ के नाम से ही प्रसिद्ध थी, और उसका व्यवहार भी एक माँ जैसा ही था | वह सब लोगों को अपनी

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दिवाली का गिफ्ट
लेखक : सरिता सरस
दिवाली का गिफ्ट
बात 2015 की है दिवाली का समय था मैं कॉलेज से रूम पर जा रही थी। मैं एक दुकान पर रुक गयी अपनी भतीजी के लिए गिफ्ट लेने के लिए तभी वहां एक औरत आई स

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बाबा का अनमोल उपहार
लेखक : राजीव सिन्हा
 " बाबा का अनमोल उपहार " 
 बात बहुत पुरानी हैं पर आज भी मेरी जिंदगी से जुडी हुई हैं। इस बात या वाकये का प्रभाव मेरी जिंदगी पर ऐसा पड़ा की मेरी जिंदगी का उद्देश्य

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हसीन वादियाँ
लेखक : रीतु देवी
रमेश के घर में आज खुशियों की बारिश हुई है। रमेश अपने माता-पिता के सपनों को पूरा किया है।वह IIT की परीक्षा अच्छे रैंक से सफल हुआ है।
 "बेटा इसी तरह जीवन के शिखर

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यादगार होली
लेखक : नगेंद्र बाला बारेठ
नमस्कार दोस्तो,
🌹🌹होली की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं व बधाईयां।🌹🌹

होली आने वाली है तो घरों में साफ सफाई,मिठाई,पकवान बनाने की तैयारियां चल रही हैं। नए नए कपड़

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जादू का डिब्बा
लेखक : राजीव सिन्हा
क्या यह पुरानी बात है ? नहीं, यह कुछ सालों पहले की बात है। सुदूर उत्तर पूर्व के राज्य मेघालय के एक अनजान गाँव । एक किसान रहता था उस किसान का गाँव इतना समय में

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सर्वोत्तम निवेश
लेखक : राजीव सिन्हा
हर व्यक्ति अपने जीवन में धन, ख्याति अर्जित करता है उसे प्राप्त करने हेतु ज्ञान व कठोर परिश्रम करता है और उनमें बढोत्तरी हेतु उनका निवेश करता है। हर निवेश समझ 

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साथी का साथ
लेखक : रीतु देवी
रमेश और दीपक के घर खुशियों के दीपक चहुँओर जल रहा है। परिवार के सभी सदस्यों के मुखमंडल चमक रहा है।चमके भी क्यों न..........? दोनों बैंक पी०ओ० परीक्षा में सफल हुए

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दोस्त या दुश्मन
लेखक : देवेन्द्र कुमार गुप्ता
 
नया-नया प्रमोशन हुआ था, घर में सभी लोग खुश थे। अभी प्रमोशन की खुशी में पूरी तरह मिठाई भी सब तक नहीं पहुँची थी कि ट्राँसफर आर्डर ने सारी खुशियों पर पानी फेर द

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दिवाली की सफाई
लेखक : तरूणा
सुमित्रा सुबह से बड़बड़ाये जा रही थी, सुबह-सुबह छुट्टी के दिन मानो मुझे शांति से बैठा देख उसका खून खौल उठता है । चाय का कप धड़ से टेबल पे सरकाकर बड़बड़ाती हुई रसोई म

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बेटी के आँसू
लेखक : श्रृंगी परमार
एक छोटा सा गाँव था, जिसके लोग बहुत ही दकियानूसी सोच के थे, वे बेटे और बेटियों को एक समान नहीं मानते थे,बेटियाँ उन पर बोझ थी । जब भी किसी के घर बेटी जन्म लेती 

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पाप और पुण्य
लेखक : देवेन्द्र कुमार गुप्ता
जब पांडव अज्ञातवास में रहते हुऐ तैरह वर्ष व्यतीत कर चुके थे और विचार विमर्ष कर रहे थे कि अंतिम चौदहवा वर्ष किधर बिताया जाय । इस पर अर्जुन ने विराट नगर जाने का प

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लड़ने का आनन्द
लेखक : देवेन्द्र कुमार गुप्ता
अमन स्वभाव से सीधा लेकिन एक नम्बर का भुलक्कड़ पति । ऑफिस से आते-जाते ही सुबह-शाम हो जाती है, शाम को घर लौटता तो थोड़ा बहुत बच्चों के साथ मस्ती हो गई तो ठीक नहीं

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आधे घंटे की चोरी
लेखक : देवेन्द्र कुमार गुप्ता
अरे सुनती हो, कहाँ रहा गई, काम खत्म नहीं हुआ अभी तक तुम्हारा, दीपेश ने खाना खाने के बाद सौंफ फाँकते हुए बोला l  आती हूँ, आती हूँ......कहते हुए सीमा किचन से बाहर

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संघर्ष
लेखक : देवेन्द्र कुमार गुप्ता
अरे पवन अन्दर आओ, अभी और कितना खेलोगे बेटा- संजू ने किचन विन्डो से ही जोर से आवाज लगाई ।

मम्मी, बडी मुश्किल से तो बैटिंग की बारी आई है, कब से तो फिल्डिंग ही 

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